Maa Durga
Kolkata:-माता का दरबार सज गया है और लग गया है भक्तों का अंबार. कोलकाता में दुर्गा पूजा के दौरान चारों ओर लोग मां दुर्गा की भक्ति में डूबे हुए दिखाई देते हैं. धूम-धड़ाके नाच-गाने के बीच सबसे बड़ा आकर्षण होते हैं मां दुर्गा के पूजा पंडाल. अगल-अगल क्लब जो इन पूजा पंडालों का आयोजन करते हैं उन सभी की ये कोशिश होती है कि उनके पंडाल अन्य पंडालों से अलग व अनूठे हों और ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपनी ओर खींच सके.
एक से बढ़कर एक ऐसे पंडाल जिसे देखने के बाद नजरों को हटाना नामुमकिन सा हो जाए. यही तो खासियत है कोलकाता महानगर की दुर्गा पूजा की. रौनक, रौशनी और भक्ति का ऐसा रंग कोलकाता के कण-कण में ऐसे रच बस चुका है जो देखते ही बन रहा है.
श्रीभूमि स्पोर्टिंग क्लब पूजा पंडाल
दुर्गा पूजा पंडाल के हिसाब से ये कोलकाता के सबसे बड़े और महंगे पंडालों में से एक है जहां मां दुर्गा की प्रतिमा उनके भक्तों के लिए एक खास आकर्षण का केन्द्र बनी हुई. मां का श्रृंगार उनके गहनों की चमक उसे अन्य पंडालों से अलग पहचान दिला रही है. क्योंकि मां को जिन गहनों से सजाया गया है उसकी कीमत करीब 4 करोड़ रुपये है, जिसका पूरा खर्च एक प्राइवेट ज्वैलरी कपंनी ने उठाया है और पंडाल की यही अनोखी बात बड़ी संख्या में भक्तों को अपनी ओर खींच रही है.
अब कीमत इतनी बड़ी है तो जाहिर सी बात है कि उसे संभालने और सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी भी बड़ी ही होगी और इसिलिए इस पंडाल में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. इस पंडाल की सुरक्षा में कुल में 250 सिक्योरिटी गार्ड और करीब 100 सीसीटीवी कैमरे की मदद ली जा रही है.
दुर्गा पंडाल में साइकिल पुर्जों का कमाल
लेक टाउन नेताजी स्पोर्टिंग क्लब ने अपने दुर्गा पूजा पंडाल में साइकिल के पुर्जों का कमाल दिखाकर इसे ही अपने पंडाल का थीम बना लिया है. कोलकाता में जहां एक तरफ साइकिल चलाने पर रोक है वहीं दूसरी तरफ साइकिल के पुर्जे का इस्तेमाल कर इस क्लब ने अपने पूरे पंडाल की सजावट कर उसे एक अलग ही रूप दे दिया है. इतना ही नहीं पंडाल के अलावा साइकिल के मेटैलिक पार्ट का इस्तेमाल मां दुर्गा की प्रतिमा को सजाने में भी किया है.
कोलकाता में दुर्गा पूजा के मौके पर आयोजक तरह-तरह के पंडाल तैयार करते हैं, पंडालों को एक-दूसरे से अलग बनाने के लिए आयोजक कुछ भी करने को तैयार हैं और शायद यही वजह है कि रात को रंगीन रोशनियों से नहाए इन पांडालों के बाहर पूरा देश मानो कोलकाता में समा जाता है.
माता के पंडालों में न केवल साजों श्रृंगार व उनकी सुंदरता पर ध्यान दिया जाता है, बल्कि इस बार तो कुछ आयोजक ऐसे भी हैं जो अपने पंडाल और झांकियों से समाज को एक संदेश देने की भी कोशिश कर रहे हैं.
कोलकाता में दुर्गा पूजा के मौके पर आयोजक तरह-तरह के पंडाल तैयार करते है और इन पंडालों को तैयार करने में कारीगरों की महीनों की मेहनत और लगन होती है, तब जाकर देखने वालों को मिलता है एक नायाब और अनोखा पूजा पंडाल. कहीं मां दुर्गा की प्रतिमा अनोखी है तो कहीं उनका साजो-श्रृंगार, लेकिन इन सबके बीच कुछ ऐसे भी पंडाल हैं जो न केवल पूजा-पाठ, सजावट के तौर पर लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रहे हैं बल्कि समाज में फैली बुराइयों का एक दर्पण दिखाकर लोगों को एक सामाजिक संदेश भी देने का काम कर रहे हैं.
अत्याचार के खिलाफ आवाज
मां दुर्गा के ये पंडाल सिर्फ भक्ति में ही डूबे हुए नहीं हैं बल्कि सामाजिक संदेश भी देते हैं. कोलकाता के साल्ट लेक के FD ब्लाक में बने इस पंडाल की थीम दिल्ली गैंग रेप और देशभर के अन्य शहरों में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार को रोकने का संदेश दे रही है. यहां लगी अलग मूर्तियां महिलाओं पर हो रहे अत्याचार की कहानी कह रही है.
दुर्गा को शक्ति का स्वरुप माना जाता है और यहां आने वाला हर शख्स मां से यही कामना कर रहा है कि जैसे उन्होंने महिषासुर का वध किया था, वैसे ही अपनी शक्ति से औरतों पर अत्याचार करने वाले हर व्यक्ति का वो विनाश करें और औरतों को इतनी शक्ति दें कि वो हर बुराई के खिलाफ लड़ सकें.
सापों से सजा पूजा पंडाल
एक ऐसा पंडाल भी है जिसके अंदर घुसते ही आपको हर तरफ सांप ही सांप नजर आएंगे. डरने की जरूरत नहीं है ये सांप असली नहीं हैं. दरअसल ये पंडाल पुरानी मान्यता को दर्शाता करता है, दरअसल इस पंडाल में मां मंसा देवी की मूर्ति की स्थापना की गई है, जिन्हें सांपो की देवी माना जाता है और देवी के उसी रूप को दर्शाते हुए इस पंडाल में हजारों सांपों को दिखाया गया है.
पंडाल के मुख्य द्वार से लेकर मंडप तक हर तरफ सिर्फ सांप ही सांप नजर आते हैं. इस अनोखे पंडाल में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है. यूं तो कोलकाता में अलग-अलग थीम के पंडाल बनाए गए हैं. हर पंडाल में कुछ अलग बात होती है, लेकिन एक बात जो हर पंडाल में समान है वो है मां के लिए लोगों की भक्ति. मां के सामने सर नवाते भक्त, मां की शक्ति को प्रणाम करते श्रद्धालु.
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